आरती श्री सरस्वती जी की | Arti Shri Saraswati Ji

आरती श्री सरस्वती जी की

आरती कीजे सरस्वती जी की,
जननि विद्या बुद्धि भक्ति की ।टेक।
जाकी कृपा कुमति मिट जाए,
सुमिरन करत सुमति गति आये,
शुक सनकादिक जासु गुण गाये,
वाणि रूप अनादि शक्ति की ॥आरती॥
नाम जपत भ्रम छुटें हिय के,
दिव्य दृष्टि शिशु खुलें हिय के।
मिलहि दर्श पावन सिय पिय के,
उड़ाई सुरभि युग-युग कीर्ति की ॥आरती॥
रचित जासु बल वेद पुराणा,
जेते ग्रन्थ रचित जगनाना।
तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना,
जो आधार कवि यति सति की ॥आरती॥
सरस्वती की वीणा वाणी कला जननि की॥

यह भी पढ़े: आरती क्या है ? आरती कैसे करनी चाहिये ? | Arti kya hai ? Arti Kaise Karni Chahiye ?

Leave a Comment