श्री शिव-पूजन विधि | Shri Shiv Pooja Vidhi

श्री शिव-पूजन विधि

भगवान् श्री शिव का ध्यान

सुन्दर कैलाश पर्वत पर भगवान श्री शंकर विराजमान हैं। रक्ताम सुन्दर गौरवर्ण है। रत्नसिंहासन पर मृगछाला बिछी है, उसी पर आप आसीन है। चार भुजाएँ हैं, दाहिने ऊपर का हाथ ज्ञान मुद्रा का है, नीचे के हाथ में फरसा है, बायां ऊपर का हाथ मृगमुद्रा से सुशोभित है, नीचे के हाथ जानु पर रक्खे हुए हैं। गले में रुद्राक्षों की माला है, साँप लिपटे हुए हैं, कानों में कुण्डल सुशोभित हैं। ललाट पर त्रिपुण्ड शोभा पा रहा है, सुन्दर तीन नेत्र है, नेत्रों की दृष्टि नासिका पर लगी है; मस्तक पर अर्धचन्द्र है, सिर पर जटाजूट सुशोभित है। अत्यन्त प्रसन्न मुख है। देवता और ऋषि भगवान की स्तुति कर रहे हैं। बड़ा ही सुन्दर विज्ञानानन्दमय स्वरूप है।

  1. आवाहन् –
    सब कामनाओं की सिद्धि के लिये मैं आपका आवाहन करता हूँ। मुझपर कृपा करके इस विग्रह में आकर निवास कीजिए।

  2. पाद्य –
    गंगा आदि सभी तीर्थों से लाये हुए उत्तम जल को आपके पाद-प्रक्षालन के लिये अर्पित करता हूँ। इसे स्वीकार कीजिये।

  3. अर्ध्य –
    गंगा आदि सभी तीर्थों से लाये हुए उत्तम जल को आपके हस्ताञ्जलि के लिये अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  4. आचमन –
    गंगा आदि सभी तीर्थों से लाये हुए उत्तम जल को आपके मुखाचमन के लिये अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  5. पंचामृत स्नान –
    दूध, दही, घृत, मधु व शर्करा से विनिर्मित पंचामृत को आपके स्नान के लिये अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  6. शुद्ध स्नान –
    गंगा आदि सभी तीर्थों से लाये हुए उत्तम जल को आपके शुद्धि स्नान के लिये अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  7. वस्त्र- उपवस्त्र –
    कलाकौशल पूर्वक सूत्रों द्वारा निर्मित सभी अंगों के आभरण स्वरूप इन दोनों वस्त्रों को आपके धारण के लिये अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  8. गंध (इत्र) –
    केसर, अगर, कस्तूरी, इत्र  व कपूर से मिले हुए चन्दन को आपके लेपन के लिये अर्पित करता हूँ आप इसे स्वीकार कीजिये।

  9. अक्षत् –
    सुन्दर गन्ध-युक्त अक्षत् (चावल) को आपके मस्तक पर धारण के लिये अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  10. पुष्प व पुष्प माला –
    उत्तम सुरभित पुष्प व सुगन्धित पुष्प माला को आपके धारण करने के लिये अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  11. बिल्व –
    त्रिगुणात्मक, त्रिनेत्र स्वरूप, त्रिजन्म पाप संहारक त्रिदल युक्त अखण्ड बिल्व पत्र को आपके भालके लिये अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  12. धूप –
    अनेक रंगों से युक्त तथा चन्दन आदि से निर्मित सुगन्धित धूप को आपके गन्ध के लिए अर्पित करता हूं। आप इसे स्वीकार कीजिए।

  13. दीप –
    सुन्दर प्रकाश फैलाने वाले तथा चारों ओर के अन्धकार का अपहरण करने वाले एवं बाह्य तथा अभ्यन्तर दोनों प्रदेशों को प्रकाश देने वाले दीपक को आपके दर्शनार्थ अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  14. नेवैद्य –
    विविध प्रकार के खाद्य पदार्थों से युक्त तथा दिव्य रस से परिपूर्ण मिष्ठान को आप के भोजन के लिए अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  15. ऋतुफल –
    सुन्दर, सुमधुर नाना प्रकार के फलों को आप के भोग के लिये अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  16. ताम्बूल-पूंगी फल –
    सुपारी, लवंग, इलायची सहित दिव्य ताम्बूल को आप के मुख- शुद्धि के लिये अर्पित करता हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

  17. द्रव्य-दक्षिणा –
    कुबेर से प्राप्त धन को आप के लिये अर्पित करता हूँ। आपकी वस्तु आपको ही भेंट कर रहा हूँ। आप इसे स्वीकार कीजिये।

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