आरती श्री वैष्णो देवी की | Aarti Shri Vaishno Devi

आरती श्री वैष्णो देवी की

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी कोई तेरा पार न पाया,
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले तेरी भेंट चढ़ाया ॥सुन०॥
सुवा चोला तेरे अंग विराजै केसर तिलक लगाया,
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे शंकर ध्यान लगाया ॥सुन०॥
नंगे नंगे पग से तेरे सम्मुख अकबर आया,
सोने का छत्र चढ़ाया ॥सुन०॥
ऊँचे पर्वत बन्या शिवाला नीचे महल बनाया,
सतयुग द्वापर त्रेता मध्ये कलयुग राज बसाया ॥सुन०॥
धूप दीप नैवेद्य आरती मोहन भोग लगाया,
ध्यानु भक्त मैया तेरा गुन गावे, मनवांछित फल पाया ॥सुन०॥

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