आरती श्री शनि देव जी की
Aarti Shri Shani Dev Ji Ki
जय जय रविनन्दन जय दुःख भंजन।
जय-जय शनि हरे ॥टेक॥
जय भुजचारी, धारणकारी, दुष्ट दलन॥
तुम होत कुपित, नित करत दुखी, धनी को निर्धन॥
तुम धर अनुप यम का स्वरूप हो, कटत बंधन॥
तब नाम जो दस तोहि करत सो बस, जो करे रटन ॥
महिमा अपार जग में तुम्हारे, जपते देवतन॥
सब नैन कठिन नित बरे अग्नि, भैंसा वाहन॥
प्रभु तेज तुम्हारा अति हिंकरारा, जानत सब जन॥
प्रभु शनि दान से तुम महान, होते हो मगन॥
प्रभु उदित नारायण शीश नवायन धरे चरण॥
जय-जय शनि हरे॥