आरती श्री कृष्ण जी की | Aarti Shri Krishna Ji Ki

आरती श्री कृष्ण जी की
Aarti Shri Krishna Ji Ki

जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय जय गिरधारी।
दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हित कारी॥
जय गोविन्द दयानिधि, गोवर्धन धारी।
वंशीधर बनवारी, ब्रज जन प्रियकारी ॥जय श्री०॥
गणिका गोध अजामिल गजपति भयहारी।
आरत-आरति हारी, जय मंगल कारी ॥जय श्री०॥
गोपालक गोपेश्वर, द्रौपदी दुखदारी।
शबर-सुता सुखकारी, गौतम-तिय तारी ॥जय श्री०॥
जन प्रहलाद प्रमोदक, नरहरि तनु धारी।
जन मन रंजनकारी, दिति-सुत संहारी ॥जय श्री०॥
टिट्टिभ सुत संरक्षक, रक्षक मंझारी।

पाण्डु सुवन शुभकरी, कौरव मद हारी॥जय श्री०॥
मन्मथ – मन्मथ मोहन, मुरली -रव कारी।
वृन्दाविपिन बिहारी, यमुना तट चारी ॥जय श्री०॥
अघ-बक-बकी उधारक, तृणावर्त तारी।
बिधि-सुरपति मदहारी, कंस मुक्तिकारी ॥जय श्री०॥
शेष, महेश, सरस्वती, गुन गावत हारी।
कल कीरति विस्तारी, भक्त भीति हारी ॥जय श्री०॥
‘नारायण’ शरणागत, अति अघ अघहारी।
पद-रज पावनकारी चाहत चितहारी ॥जय श्री०॥

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