आरती श्री गायत्री जी की | Arti Shri Gayatri Ji
आरती श्री गायत्री जी की आरती श्री गायत्री जी की ॥ टेक ॥ ज्ञान को दीप और श्रद्धा की बाती, सो भक्ति ही पूर्ति करै जहं घी की ॥आरती॥ मानस की शुचि थाल के ऊपर, … Read more
आरती श्री गायत्री जी की आरती श्री गायत्री जी की ॥ टेक ॥ ज्ञान को दीप और श्रद्धा की बाती, सो भक्ति ही पूर्ति करै जहं घी की ॥आरती॥ मानस की शुचि थाल के ऊपर, … Read more
आरती श्री सरस्वती जी की आरती कीजे सरस्वती जी की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की ।टेक। जाकी कृपा कुमति मिट जाए, सुमिरन करत सुमति गति आये, शुक सनकादिक जासु गुण गाये, वाणि रूप अनादि शक्ति … Read more
आरती श्री लक्ष्मी जी ओ३म् जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु धाता ॥ओ३म्॥ उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ओ३म्॥ दुर्गा रूप निरंजनि, … Read more
आरती क्या है? और कैसे करनी चाहिये? आरती को ‘आरात्रिका’ अथवा ‘आरार्तिक’ और ‘नीराजन’ भी कहते हैं। पूजा के अन्त में आरती की जाती है। पूजन में जो त्रुटि रह जाती है, आरती से उसकी … Read more
कीर्तन की है रात बाबा आज थाने आणो है भजन लिरिक्सKirtan Ki Hai Raat Baba Aaj Thane Aano Hai Bhajan Lyrics कीर्तन की है रात बाबा आज थाने आनो है थाने कोल निभानो है, कीर्तन … Read more
श्री हनुमान जी की आराधना में हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, बजरंग बाण, हनुमान जी की आरती के पाठ का बहुत बड़ा महत्व है। हनुमान जी के पूजा पाठ करने के उपरांत आरती करना अति आवश्यक … Read more
सम्पूर्ण संकटमोचन हनुमान अष्टक | Sankat Mochan Hanuman Asthak श्री हनुमान जी की आराधना में हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, बजरंग बाण, हनुमान जी की आरती के पाठ का बहुत बड़ा महत्व है। संकटमोचन हनुमान अष्टक … Read more
गणेश जी की आरती | Ganesh ji ki Aarti जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी। पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े … Read more
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को ।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
श्री हनुमान चालीसा | Shri Hanuman Chalisa in Hindi दोहा : श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस … Read more