श्री लक्ष्मी सूक्तम | Shri Lakshmi Shuktam | श्री लक्ष्मी सूक्तम हिंदी अनुवाद सहित | श्री लक्ष्मी सूक्तम पाठ करने की विधि
भावार्थ: हे लक्ष्मी देवी! आप कमलमुखी, कमल पुष्प पर विराजमान, कमल-दल के समान नेत्रों वाली, कमल पुष्पों को पसंद करने वाली हैं। सृष्टि के सभी जीव आपकी कृपा की कामना करते हैं। आप सबको मनोनुकूल फल देने वाली हैं। हे देवी! आपके चरण-कमल सदैव मेरे हृदय में स्थित हों।
भावार्थ: हे लक्ष्मी देवी! आपका श्रीमुख पद्म सरिस है, ऊरु पदम् सामान, नेत्र आदि कमल के समान हैं। आपकी उत्पत्ति कमल से हुई है। अतः हे कमलनयनी! मैं आपका स्मरण करता हूँ, आप मुझ पर दया करें जिससे में सुख को प्राप्त होऊं।
भावार्थ: हे महालक्ष्मी माँ, आप घोड़ा, गौ और सब प्रकार के धन देने में समर्थ हो, आप मुझे धन दीजिये और मेरी समस्त कामनाओ को पूर्ण कीजिये।
भावार्थ: हे महालक्षी देवी, आप समस्त जीवो की माता हो, आप मुझे पुत्र-पौत्र, धन-धान्यं, हाथी-घोड़ा, गाय-बैल, रथ आदि प्रदान करें और मुझे दीर्घायु प्रदान करें।
भावार्थ: हे महालक्षी माँ, अग्नि धन है, वायु धन है, सूर्य धन है, जल धन है, इंद्रा धन है, बृहस्पति धन है, वरुण धन है, इन सब से मुझे धन प्राप्त होवे।
भावार्थ: हे माँ लक्ष्मी, गरुड़ जी सोम पान करें, वत्रासुर को मारने वाले इंद्रा भी अमृत पीने वाले है, यह सोमपायी मुझे सोमयुक्त धन प्रदान करें।
भावार्थ: हे लक्ष्मी माता, जो पुण्यात्मा भक्त इस सूक्त का पाठ करने वाले है, उनकी क्रोध, मत्सरता, लोभ व पाप कर्मो में मति नहीं होती, वे सत्कर्मो की और प्रेरित होते है।
भावार्थ: हे भगवती हरिवल्लभे लक्ष्मी माता, कमल आपका निवास स्थान है, आप हाथ में कमल लिए रहते हो, आप अति स्वच्छ सफेद वस्त्र, चन्दन, और माला धारण किये रहते हो। आप सबके मन की बात को जानते हो, त्रिभुवन की सम्पदा प्राप्त करने वाली हो। मेरे ऊपर दया दृष्टि बनाइये।
भावार्थ: हे माता लक्ष्मी देवी, आप भगवन विष्णु की पत्नी है, क्षमा स्वरुप है, माधव भगवन की प्यारी है, उन अच्युत वल्लभा को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।
भावार्थ: मैं उन महादेवी माँ को जानता हूँ, उन भगवन विष्णु की पत्नी का ध्यान करता हूँ, वे लक्ष्मी देवी हमे धर्म कार्यों के प्रति प्रेरित करें, हम पर अपनी दया दृष्टि बनाये रखे !
भावार्थ: जो चंद्र प्रभा के सामान है, जो सूर्य के सामान प्रकाशवती है, हम उन भगवती देवी की उपासना करते है, जो सूर्य, चंद्र और अग्नि के सामान तेजश्वी है।
भावार्थ: इस लक्ष्मी सूक्तम का नित्य पाठ करने वाला व्यक्ति श्री, तेज, आरोग्य, आयु को धारण करता हुआ शोभा को प्राप्त करता है। वह धन-धन्य, पशु, बहु पुत्र प्राप्त करके सो वर्ष की दीर्घायु को प्राप्त होता है।
श्री लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करने की विधि:
श्रीलक्ष्मी सूक्त का पाठ हमेशा विश्वास और श्रद्धा के साथ करना चाहिए इससे लक्ष्मी जी बहुत जल्दी प्रसन्न होती है और पूजा करने वाले व्यक्ति को धन संपदा और ऐश्वर्य प्रदान करती है। अगर आप प्रतिदिन लक्ष्मी सूक्त का पाठ न कर पाए तो आपको हर हफ्ते शुक्रवार को लक्ष्मी जी का पाठ अवश्य करना चाहिए।
- सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा के स्थान को साफ करके वहां पर लाल कपड़े पर लक्ष्मी माता की मूर्ति अथवा तस्वीर को स्थापित करें।
- माता लक्ष्मी को लाल पुष्प एवं अन्य पूजा सामग्री – जैसे गुलाल, चंदन, चावल आदि चढ़ाएं और प्रसाद का भोग लगाएं।
- इसके बाद आप श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ करें और महालक्ष्मी जी की आरती करें।
- अगर आप संस्कृत में श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ नहीं कर पाए तो हिंदी में ही इस का पाठ करें। नवरात्रा, दिवाली आदि पर लक्ष्मी सूक्त का विधि विधान से पाठ करने का विशेष महत्व है।