कीर्तन-1
हरिशरणम् हरिशरणम्, हरिशरणम् हरिशरणम् ।
दयालु राम की शरणम्, कृपालु कृष्ण की शरणम् ॥1॥ हरिशरणम्…
तुम्हारा नाम सुन करके, मैं दुनिया छोड़ आया हूँ।
पिलादो नाम का अमृत, यह आशा लेकर आया हूँ ॥2॥ हरिशरणम्..।
पड़ी मझदार में नैया, प्रभु यह डूब जायेगी।
मेरा कुछ भी न बिगड़ेगा, तुम्हारी लाज जायेगी ॥3॥ हरिशरणम्…
लगे जब ठोकरें जग की, तो ठाकुर याद आता है।
कन्हैया श्याम सुन्दर ही, उसे आकर बचाता है ॥4॥ हरिशरणम्…
मिलन हो श्याम से मेरा, लगी है आशा यह मन में।
जगा दो ज्ञान की ज्योति, मेरे मन में मेरे मन में ॥5॥ हरिशरणम्…
दयालु राम की शरणम्, कृपालु कृष्ण की शरणम्।
हरिशरणम् हरिशरणम्, हरिशरणम् हरिशरणम् ॥6॥ हरिशरणम्…
कीर्तन-2
राम नाम बोलो सहारा मिलेगा, हरि नाम बोलो सहारा मिलेगा -2
डूबे हुवे को किनारा मिलेगा, कृष्ण नाम बोलो सहारा मिलेगा -2
राम नाम बोलो सहारा मिलेगा, गोविन्द नाम बोलो सहारा मिलेगा -2
दीन दुखी को सहारा मिलेगा, गोपाल नाम बोलो सहारा मिलेगा -2
राम नाम बोलो सहारा मिलेगा, हरि नाम बोलो सहारा मिलेगा -2
भक्तों को भगवान प्यारा मिलेगा, सीताराम बोलो सहारा मिलेगा -2
हरि नाम बोलो सहारा मिलेगा, शिव नाम बोलो सहारा मिलेगा -2
कीर्तन-3
नटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविन्दा ।
श्याम सुन्दर मुख चन्दा, भजो रे मन गोविन्दा ॥
तूं ही नटवर, तूं ही नागर, तूं ही बाल मुकुन्दा ॥1॥ भजो रे मन…
सब देवन में कृष्ण जी बड़े हैं, ज्यूँ तारा बिच चन्दा ॥2॥ भजो रे मन…
सब देविन में राधा जी बड़ी हैं, ज्यूँ नदियाँ बिच गंगा ॥3॥ भजो रे मन…
ध्रुव तारे प्रहलाद उबारे, नरसिंह रूप धरन्ता ॥4॥ भजो रे मन…
काली देह में नाग जो नाथ्यो, फण-फण निरत करन्ता ॥5॥ भजो रे मन…
वृन्दावन में रास रचायों, नाचत बाल मुकुन्दा ॥6॥ भजो रे मन…
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, काटो यम का फन्दा ॥7॥ भजो रे मन…
कीर्तन-4
नमस्कार प्रभु बारम्बारा। नमस्कार प्रभु बारम्बारा ॥
अनंत कोटि ब्रम्हाण्ड के स्वामी, जड़ चेतन सब रूप तुम्हारा ॥1॥ नमस्कार…
नां तू किसी में, ना तेरे में, ऐसा निर्गुण रूप तुम्हारा ॥2॥ नमस्कार…
है तू सब में, सब तेरे में, ऐसा सर्गुण रूप तुम्हारा ॥3॥ नमस्कार…
बाहर भीतर ऊपर नीचे, जहँ देखूं तहाँ रूप तुम्हारा ॥4॥ नमस्कार…
राम कृष्ण ओंकार हरे हर, वेदों में प्रभु नाम अपारा ॥5॥ नमस्कार…
मैं सेवक प्रभु कुटिल अज्ञानी, सिर पर रख दो हाथ तुम्हारा ॥6॥ नमस्कार…
सच्चे मन से ध्यान लगावे, तब दर्शन होवे नाथ तुम्हारा ॥7॥ नमस्कार…
कीर्तन-5
गोविन्द जय जय, गोपाल जय-जय ।
राधा रमण हरि गोविन्द जय-जय ॥
ब्रम्हा जी की जय-जय, विष्णु जी की जय-जय ।
उमापति शिव शंकर की जय-जय ॥1॥ गोविन्द जय जय…
राधा जी की जय जय, रुक्मिणी जी की जय-जय ।
मोर मुकुट बंशी वाले की जय-जय ॥2॥ गोविन्द जय जय…
गंगा जी की जय जय, यमुना जी की जय-जय ।
सरस्वती त्रिवेणी की जय-जय ॥3॥ गोविन्द जय जय…
राम जी की जय जय, श्याम जी की जय-जय ।
दशरथ कुमार चारों भाईयों की जय-जय ॥4॥ गोविन्द जय जय…
विष्णु जी की जय जय, लक्ष्मी जी की जय-जय ।
कृष्ण बलदेव दोनों भाईयों की जय-जय ॥5॥ गोविन्द जय जय…
कीर्तन-6
गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो। राधा रमण हरि गोविन्द बोलो ॥
नारायण परम दयालु है, भजो मन राधे गोविन्दा ॥1॥
राम जी कृष्ण जी कृपालु है, भजो मन राधे गोविन्दा ॥2॥
सीता माता राम जी की प्यारी है, भजो मन राधे गोविन्दा ॥3॥
राधा जी कृष्ण की दुलारी है, भजो मन राधे गोविन्दा ॥4॥
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