गायत्री महामंत्र | Gayatri Mantra
गायत्री मंत्र के उपासक अर्थात गायत्री मंत्र का जाप करने वालों के पास भूत प्रेत भूलकर भी नहीं आ सकते क्योंकि गायत्री मंत्र एक ऐसा मंत्र है जो मन को शांति देता है और इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है इस मंत्र को स्वयं देवी देवता भी जाप करते हैं।
गायत्री महामंत्र क्या है? | What is Gayatri Maha Mantra?
गायत्री महामंत्र श्री गायत्री माता को समर्पित है जिन्हें शांति की देवी कहा जाता है, गायत्री मंत्र निम्न है…
ओ३म् भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो
देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयातः
शब्दार्थ :
- ओ३म् – सर्व रक्षक परमात्मा जो हम सब की सहायता करते हैं।
- भूः – प्राणों से भी प्यारी धरती जो जिंदगी का आधार है।
- भुवः – दुख विनाशक, जिसके साथ से सभी प्रकार के दुख खत्म हो जाते हैं।
- स्वः – सुखस्वरूप है,
- तत् – उस भगवान के रूप को
- सवितुः – उत्पादक, प्रकाशक, प्रेरक, जिसने पूरी सृष्टि का निर्माण किया है।
- वरेण्यं – वरने योग्य, जो धारण करने लायक सर्वश्रेष्ठ है।
- भर्गो – स्वच्छ पवित्र स्वरूप
- देवस्य – ईश्वर के समान जीने सब प्राप्त करना चाहते हैं।
- धीमहि – हम ध्यान करें।
- धियो – बुद्धियों का
- यो – जो देवात्मा
- नः – हमारी
- प्रचोदयात – शुभ कार्यों में प्रेरित करें।
भावार्थ:
उस प्राण स्वरूप, दुःखनाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
हम सर्वव्यापी ईश्वर का ध्यान करते हैं और भगवान का तेज हमें और हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। हे परमपिता परमेश्वर हमारी आप से यह विनती है कि आप सबको सद्बुद्धि प्रदान करें।
गायत्री मंत्र की उत्पत्ति|Origin of Gyatri Mantra
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार गायत्री मंत्र की उत्पत्ति सृष्टि की शुरुआत में हुई है तब ब्रह्माजी के द्वारा गायत्री मंत्र की व्याख्या वेदों के रूप में की गई है। ऐसा कहा जाता है कि गायत्री महामंत्र सिर्फ देवी-देवताओं के लिए ही उपलब्ध था परंतु जब ऋषि विश्वामित्र के द्वारा कठोर तपस्या की गई तो उनके तप से प्रसन्न होकर देवताओं ने इस मंत्र को जनसाधारण के लिए उपलब्ध करवाया और इस प्रकार से यह भी कहा जा सकता है कि गायत्री मंत्र के रचयिता ऋषि विश्वामित्र है।
गायत्री मंत्र जाप के नियम | Rules for Chanting Gayatri Mantra
- गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए सबसे उत्तम समय सुबह का है सुबह के समय में उठकर नित्य नियम से नहाकर स्वच्छ कपड़े पहनकर गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
- गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए ऐसी जगह का चयन करें जहां का वातावरण शांत और शुद्ध हो।
- इस मंत्र का जाप करते समय ऊन, रुई, रेशम के आसन पर बैठ कर करना चाहिए।
- गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए पद्मासन में बैठे। और खाली पेट इसका जाप करना चाहिए।
- गायत्री मंत्र का जाप करते समय रुद्राक्ष अथवा मूंगे की माला का इस्तेमाल करें और इसकी गिनती अवश्य करनी चाहिए बिना गिनती के जाप को असुर जाप कहा जाता है।
- गायत्री मंत्र का जाप मन ही मन पूर्ण एकाग्र होकर करें और रोजाना इस मंत्र का जाप एक निश्चित समय पर ही करना चाहिए।
- मंत्र जाप शुरू करने के पश्चात बीच में नहीं उठना चाहिए अगर किसी कारणवश उठना पड़ भी जाए तो दोबारा हाथ मुंह धो कर ही जाप के लिए बैठना चाहिए।
- गायत्री मंत्र जाप करने वाले व्यक्ति को मांस-मदिरा, प्याज-लहसुन आदि तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
गायत्री मंत्र का वैज्ञानिक महत्व | Gaytri Mantra Scientific Research
- गायत्री मंत्र की शुरुआत ओम से होती है ओम का उच्चारण करने से हमारे शरीर में कंपन पैदा होता है।
- गायत्री मंत्र से जो कंपन पैदा होता है इससे हमारे शरीर में हाइपोथेलेमस ग्रंथि से हार्मोन का स्राव होता है यह हार्मोन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- नियमित रूप से गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से दिमाग शांत रहता है क्रोध कम आता है और एकाग्रता बढ़ती है।
अक्षर पुरुष एक पेड़ है निरंजन वाकी डार
तीनों देव शाखा है पात रूप संसार।।